पालयन्ती मनुपदं प्रसमीक्ष्या वनीतले । पीताचार रतां भक्तां तां भवानीं भजाम्यहम् ।। ज्वल ज्ज्योत्स्ना रत्नाकर मणि विषक्तांघ्रि भवनं स्मरामस्तेधाम स्मरहर हरींद्रेंदु प्रमुखैः । अहोरात्रं प्रातः प्रणय नवनीयं सुविशदं परं पीताकारं परचित मणिद्वीप वसनम् ।। यह देवी मुख्यतः स्तम्भन कार्य से सम्बंधित हैं फिर वह शत्रु रूपी मनुष्य, घोर प्राकृतिक आपदा, https://www.youtube.com/@Mahavidyabaglamukhi
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